سرویس فرهنگی یزدفردا :در جهت همراهی با کنگره مولانا کمال الدینی (شمس الدین) محمد وحشی بافقی بزرگمرد ادبیات ایران که از سرزمین آهن و فولاد شهر بافق واقع در استان یزد به دنیا معرفی شده است
یزدفردا در جشنواره فرهنگی این بزرگمرد خطه کویر اقدام به برپایی جشنواره فرهنگی اشعار و مطالب مرتبط با وحشی بافقی نموده است و در این راستا سروده (رباعیات) "
.رباعیات
" را در ادامه می خوانید:
رباعیات
| یــــارب کــــه بـــــقــــای جــــاودانــــی بـــــادا | کـــــامــــت بـــــادا و کــــامــــرانــــی بـــــادا |
| هــر اشــربـــه ای کــز پـــی درمــان نــوشــی | خـــــاصـــــیــــت آب زنــــدگـــــانــــی بـــــادا |
| *** | |
| عـــشـــرت بــــادا صـــبــــح تـــو و شـــام تـــرا | آغـــاز تــــو را خــــوشـــی و انـــجــــام تــــرا |
| شــبـــهــای تـــرا بـــاد نــشـــاط شــب عــیــد | نـــوروز ز هـــم نــــگــــســــلــــد ایـــام تــــرا |
| *** | |
| شــد یـار و بــه غــم ســاخــت گــرفــتــار مــرا | نـــگـــذاشــــت بــــه درد دل افــــکــــار مـــرا |
| چــون ســوی چــمــن روم کــه از بـــاد بـــهــار | دل مـی تــرقـد چــو غــنـچــه، بــی یـار، مـرا |
| *** | |
| جـــــان ســـــوخـــــت ز داغ دوری یــــار مــــرا | افــــــــزود ســــــــد آزار بـــــــــر آزار مــــــــرا |
| مــن کــشــتــنـیـم کــز او جــدایـی جــســتــم | ای هــجــر بـــه جــرم ایــن بـــکــش زار مــرا |
| *** | |
| از بـــهــر نــشـــیــمــن شـــه عــرش جـــنــاب | بـنگر که چه خوش دست به هم داد اسبـاب |
| گــردیــد ســپـــهــر خــیــمــه و انــجــم مــیــخ | شد سد ره سـتـون و کهکشان گشت طناب |
| *** | |
| انـدر ره انــتــظــار چــشــمــی کــه مــراســت | بـــی نــور شــد و وصــال تــو نــاپــیــداســت |
| مــن نــام بـــگـــردانــدم و یــعـــقـــوب شـــدم | ای یـوسـف مـن نـام تــو یـعـقـوب چــراسـت |
| *** | |
| آن ســرو کـه جــایـش دل غــم پــرور مـاســت | جــان در غــم بــالــاش گــرفــتــار بــلـاســت |
| از دوری او بـــــه نــــاخـــــن مـــــحـــــرومــــی | سـد چـاک زدیـم سـیـنـه جـایـش پـیـداسـت |
| *** | |
| پــیـوسـتــن دوسـتــان بــه هـم آســان اسـت | دشــوار بـــریــدن اســـت و آخـــر آن اســـت |
| شـــیــریــنــی وصــل را نــمــی دارم دوســـت | از غــایـت تــلـخــیـی کـه در هـجــران اســت |
| *** | |
| شــاهــا ســربـــخــت بـــر در دولــت تـــســت | یـک خـیـمـه فـلـک ز اردوی شـوکـت تــسـت |
| گـــر خـــیــمـــه چـــرخ را ســـتـــونــی بـــایــد | انــدازه ســتــون خــیــمــه رفــعــت تــســت |
| *** | |
| اکــســـیــر حـــیــات جـــاودانــم بـــفـــرســـت | کــــام دل و آرزوی جــــانـــم بــــفــــرســــت |
| آن مـایـع کـه سـرمـایـه عـیـش و طـرب اســت | آنــم بـــفــرســـت و در زمــانــم بـــفــرســت |
| *** | |
| شـوخــی کـه خــطـش آیـه فـرخ فـالـی اسـت | نـادیـدن آن مـوجــب سـد بــد حــالـی اسـت |
| تــا شـمـع رخــش نـهـان شــد از پــیـش نـظـر | شـد دیده تـهی ز نور و جـایش خـالی اسـت |
| *** | |
| جــز فــکــر جـــدا شــدن ز دلــدارم نــیــســت | ایـن صــبــر هـراســنـده ولـی یـارم نـیـســت |
| دنــدان بـــه جـــگـــر نــهــادنــی مـــی بـــایــد | امـا چــه کــنـم صــبــر جــگــر دارم نـیـســت |
| *** | |
| مـجـنون کـه کـمـال عـشـق و حـیرانی داشـت | مـهری نـه چـو این مـهر کـه مـیدانی داشـت |
| این مهر نه عاشقی ست ، مهری ست که آن | بــا یـوســف مـصــر پــیـر کـنـعــانـی داشــت |
| *** | |
| شـــاهـــا ســــر روزگـــار پــــامـــال تــــو بــــاد | گــردون ز کــتــل کــشــان اجــلــال تــو بـــاد |
| هـــر صـــیـــد مـــرادی کـــه بــــود در عـــالـــم | فــتــراک پــرســت رخــش اقــبـــال تــو بـــاد |
| *** | |
| شــاهـا چــو کـمـان قــدر بــه فــرمـان تــو بــاد | چــون گـوی فــلـک در خــم چــوگـان تــو بــاد |
| آن ســـیــنـــه پـــر داغ کـــه خـــصـــمـــت دارد | صـــنـــدوقـــه تـــیـــرهـــای پـــران تـــو بــــاد |
| *** | |
| صـــیـــد افـــکـــنـــی مـــراد آیـــیـــن تـــو بـــاد | عــیــوق شــکــارگــاه شـــاهــیــن تـــو بـــاد |
| هـر ســر کــه نــه در پــای ســمــنــد تــو بــود | بــر بــسـتـه بـه جـای طـبــل بــرزیـن تـو بــاد |
| *** | |
| شــاهــا در جــهــان عــرصــه درگــاه تـــو بـــاد | آفــاق پـــراز خـــیــمــه و خـــرگــاه تـــو بـــاد |
| این خـیمـه بـی سـتـون کـه چـرخـش خـوانـنـد | قــایــم بــه ســتــون خــیـمــه جــاه تــو بــاد |
| *** | |
| جـــرم اســـت ســراپـــای مــن خـــاک نــهــاد | لــیــکــن بـــودم بــه عــفــو او خــاطــر شــاد |
| ای وای اگـــر عــــفـــو نـــبــــاشــــد ، ای وای | فـــریــاد اگــر جـــرم نــبـــخـــشـــد ، فــریــاد |
| *** | |
| کـــــــوی تــــــــو کـــــــه آواره هـــــــزاری دارد | هـرکـس بــه خــود آنـجــا ســر و کــاری دارد |
| تـــنــهــا نــه مــنــم تـــشــنــه دیــدار، آنــجـــا | جــایـیــســت کــه خــضــر هــم گــذاری دارد |
| *** | |
| وحــشــی کـه هـمـیـشــه مـیـل ســاغــر دارد | جـــز بـــاده کــشـــی چـــه کــار دیــگــر دارد |
| پــیـوســتــه کــدویـش ز مــی نـاب پــر اســت | یـــعـــنـــی کـــه مـــدام بـــاده در ســـر دارد |
| *** | |
| گــر کــســب کــمــال مـی کــنـی مـی گــذرد | ور فــکــر مــجـــال مــی کــنــی مــی گــذرد |
| دنـیـا هـمـه سـر بـه سـر خـیال اسـت ، خـیال | هــر نــوع خـــیــال مــی کــنــی مــی گــذرد |
| *** | |
| فــریــاد کــه ســـوز دل عـــیــان نــتـــوان کــرد | بــا کـس ســخــن از داغ نـهـان نـتــوان کــرد |
| ایــنــهــا کــه مــن از جــفــای هــجــران دیــدم | یـک شـمـه بـه سـد سـال بـیـان نـتـوان کـرد |
| *** | |
| تــــیـــرت چــــو ره نـــشــــان پــــران گــــیـــرد | هــر بـــار نــشـــان زخـــم پـــیــکــان گــیــرد |
| از حـــــیــــرت آن قــــدرت بـــــخــــت انــــدازی | مــردم لــب خــود بــخــش بــه دنـدان گــیـرد |
| *** | |
| دل زان بــت پــیـمــان گــســلــم مــی ســوزد | بـــرق غـــم او مـــتـــصـــلـــم مـــی ســـوزد |
| از داغ فـــراق اگـــر بـــنـــالـــم چـــه عـــجـــب | یــاران چـــه کــنــم، وای دلــم مــی ســـوزد |
| *** | |
| یـــارب کــــه زمـــانـــه دلــــنـــوازت بــــاشــــد | ایــام هــمـــیــشـــه کـــار ســـازت بـــاشـــد |
| رخــش تــو ســپــهـر و زیـن رخــش تــو هـلـال | خــورشــیـد بــه جــای طـبــل بــازت بــاشــد |
| *** | |
| مـی خـواسـت فـلـک کـه تـلـخ کـامـم بـکـشـد | نـاکــرده مـی طــرب بــه جــامــم، بــکــشــد |
| بـــســـپـــرد بـــه شـــحـــنــه فــراق تـــو مــرا | تــا او بـــه عــقــوبـــت تــمــامــم بـــکــشــد |
| *** | |
| شـــاهــا بـــه عـــداوت تـــوکــس یــار نــشـــد | کــاو در نــظــر جـــهــانــیــان خـــوار نــشـــد |
| بــا نـشأه خــصـمـی تــو آنـکـس کـه بــخــفـت | در خــواب شــد آنـچــنـان کــه بــیـدار نـشــد |
| *** | |
| آنــان کــه بــه کــویــی نــگــران مــی گــردنــد | پــیـوسـتــه مـرا بــه قـصـد جـان مـی گـردنـد |
| از رشــک نــبـــات مــی دهــم جــان کــه چــرا | گــرد ســـر هــم نــام فـــلــان مــی گــردنــد |
| *** | |
| آن زمــره کــه از مــنــطــق مــا بــی خــبــرنــد | ســد نـغــمـه مـا بــه بــانـک زاغـی نـخــرنـد |
| زاغــیـم شــده بــه عــنــدلــیـبــی مــشــهــور | مـا دیـگــر و مـرغــان خــوش الـحــان دگــرنـد |
| *** | |
| مـجــنـون بــه مـن بــی ســر و پــا مـی مــانـد | غــمــخــانـه مــن بــه کــربــلــا مــی مــانــد |
| جــغــدی بــه ســرای مـن فـرود آمـد و گـفــت | کــایـن خــانــه بــه ویـرانــه مــا مــی مــانــد |
| *** | |
| ای چــرخ مــرا دلــی ســت بـــیــداد پــســنــد | بــیـمــم دهـی از ســنـگ حــوادث تــا چــنـد |
| مـن شـیـشـه نـیم کـه بـشـکـنـد سـنـگ تـوام | مــرغ قــفــســم کــه گــشــتــم آزاد ز بــنــد |
| *** | |
| یــا صــاحــب نــنــگ و نــام مــی بـــایــد بـــود | یــا شــهــره خــاص و عــام مــی بــایـد بــود |
| الــقــصـــه کــمــال جـــهــد مــی بـــایــد کــرد | در وادی خـــود تـــمـــام مـــی بــــایـــد بـــود |
| *** | |
| در کـــــوی تـــــوام پـــــای تـــــمــــنــــا نــــرود | مـن ســعــی بــســی کــنـم ولــی پــا نـرود |
| خــواهــم کــه ز کــویــت روم امــا چـــه کــنــم | کــایــن بـــیــهــده گــرد پـــا دگــر جـــا نــرود |
| *** | |
| تـــا پـــای کــســی ســـلــســلــه آرا نــشــود | او را ســـر قـــدر آســـمـــان ســــا نـــشـــود |
| بـــاز ار نــشــود صــیــد و نــیــفــتـــد در قــیــد | او را بــه ســر دســت شــهـان جــا نــشــود |
| *** | |
| در صــیــد گــهــت کــه جــان طــرب ســاز آیــد | ســـیــمـــرغ اســـیــر چـــنـــگـــل بـــاز آیـــد |
| هــر جــا کــه صــدای طــبـــل بـــاز تـــو رســد | ســـد مـــرغ دل از شـــوق بــــه پـــرواز آیـــد |
| *** | |
| ازدیــــده ز رفــــتــــن تــــو خــــون مــــی آیـــد | بــر چــهـره ســرشــک لــالـه گــون مـی آیـد |
| بــشـتــاب کـه بــی تــوجــان ز غـمـخـانـه تــن | ایـــنـــک بــــه وداع تــــو بــــرون مــــی آیـــد |
| *** | |
| خــوش آن کــه ره عــشــق بــتــی پــیـمــایــد | بـــــرخـــــاک رهــــش روی ارادت ســــایــــد |
| یـک ســو نــظــرش کــه غــیـر پــیــدا نــشــود | دل در طـــرفـــی کـــه یـــار کـــی مـــی آیــد |
| *** | |
| تـــا شـــکـــل هــلــال گــردد از چـــرخ پـــدیــد | کــز بــهــر در شــادی عــیــد اســت کــلــیـد |
| روز وشــــب عــــمـــر بــــی زوالــــت بــــادش | مــســـتـــلــزم اجـــر روزه و شـــادی عـــیــد |
| *** | |
| نــوروز شـــد و بـــنــفــشـــه از خـــاک دمــیــد | بــر روی جــمــیـلــان چــمــن نـیـل کــشــیـد |
| کــس را بــه ســخــن نــمــی گــذارد بــلــبــل | در بــاغ مــگــر غــنـچــه بــه رویـش خــنـدیـد |
| *** | |
| آهــنــگ ســـفـــر مــی کـــنــد آن مــاه عـــذار | ای جــان کـه نـفـس گـیـر شــدی نـالـه بــرآر |
| در مــحــمــلــش آویــز دلــا هــمــچــو جـــرس | وز نــــالــــه و فــــریــــاد زبــــان بــــاز مــــدار |
| *** | |
| یـــــارب کـــــه در ایــــن دایــــره دیــــر مـــــدار | بـــاشــی ز چـــنــان زنــدگــیــی بـــرخــوردار |
| کــایــام شــریـف عــیــدش ار جــمــع کــنــنــد | ســد عـمـر ابــد بــه هـم رسـد بــلـکـه هـزار |
| *** | |
| دانــی شـــاهــا کـــه مــهــر فـــرخـــنــده اثـــر | تــحــویـل حــمـل نـمـود و بــودش چــه نـظـر |
| تــا روز نــشــاطــت کــه بــه گــلــشــن گــذرد | هــــرروز فـــــزونـــــتـــــر بـــــود از روز دگـــــر |
| *** | |
| ای صـــیــت مــعــالــجـــات تـــو عــالــم گــیــر | و آوازه تـــو کـــرده جـــهــان را تـــســـخـــیــر |
| یــارب کــه جــدا مــبـــاد تـــا عــالــم هــســت | صــحــت ز تـــنــت چــو نــور از بـــدر مــنــیــر |
| *** | |
| آن شــمـع کــه دوش بــود تــب تــا ســحــرش | صـــحـــت پــــی رفـــع تـــب در آمـــد ز درش |
| تـــب از بـــدنــش راه گــریــزی مــی جــســت | فـــصـــاد جـــهـــانـــد از ره نـــیـــشـــتــــرش |
| *** | |
| ای مـــنــشـــاء دانــایــی و ای مـــایــه هــوش | بــفـرسـت از آن کـه تــا سـحـر خـوردم دوش |
| بـسـیـار نـه ، کـم نـه، آن قـدر بـخـش کـه مـن | هــشـــیــار نــگــردم و نــمــانــم مــدهــوش |
| *** | |
| ای جــان و تــنـم مـطـیـع و شــوق تــو مـطــاع | رفــتــی و جــدا زان رخ خــورشــیـد شــعــاع |
| هــیــهــات کــه جـــان وداع تـــن کـــرد و نــداد | چـنـدان مـهـلـت کـه تــن شـتــابــد بــه وداع |
| *** | |
| فـــن تــــو و ســـد هـــزار بــــرهـــان کـــمـــال | شـغـل مـن و یـک جــهـان خــیـالـات مـحــال |
| تـــو مـــنـــزوی مـــدرســـه عـــالـــی فـــضـــل | مــن بـــیــهــده گــرد راســت بـــازار خـــیــال |
| *** | |
| در نـــامـــه رقـــم ز خـــانـــه ای یـــافـــتـــه ام | وز عــنــبـــر تـــر شــمــامــه ای یــافــتـــه ام |
| از شــــوق دمــــی هـــزار بــــارش خــــوانــــم | گــویـی تــو کــه گــنـج نـامـه ای یـافــتــه ام |
| *** | |
| تــا کـار جــهـان بــه کـام کـس نـیـســت مـدام | عــیــش تـــو مــدام بـــاد و کــار تـــو تـــمــام |
| در مـجــلـس عــشــرت تــو غــم خــوردن دهـر | یــارب کــه بـــود چـــو روزه در عـــیــد حـــرام |
| *** | |
| تــــا در ره عـــشـــق آشـــنـــای تــــو شــــدم | بـــا ســد غــم و درد مــبــتــلــای تــو شــدم |
| لـــیــلـــی وش مــن بـــه حـــال زارم بـــنــگـــر | مـــجـــنـــون زمـــانـــه از بـــرای تـــو شـــدم |
| *** | |
| امــشــب هـمــه شــب ز هـجــر نـالــان بــودم | بــا بــخــت ســیـه دســت و گـریـبــان بــودم |
| قــربــان شــومــت دی بــه کــه هـمـره بــودی | کامشـب همه شـب بـه خـویش گریان بـودم |
| *** | |
| از آبـــــــلــــــه ای تـــــــازه گــــــل بـــــــاغ ارم | حـــاشـــا کــه شـــود طــراوت روی تـــو کــم |
| نــی جـــوهــر حــســن لــالــه اســت از ژالــه | نــی زیـور خــوبــی گــل اســت از شــبــنــم |
| *** | |
| ای آنــکــه بـــه یــکــرنــگــی تــو مــتـــصــفــم | در بـــنـــدگـــیــت مـــقـــرم و مـــعـــتـــرفـــم |
| بــا «فـاف » و «ر» و «الـف،ب » و «ه » ز کـرم | بفرست بدست «غین » و «لام » و «الفم » |
| *** | |
| تـــا کــی ز مــصـــیــبـــت غــمــت یــاد کــنــم | آهــســـتـــه ز فـــرقـــت تـــو فـــریــاد کــنــم |
| وقـــت اســـت کـــه دســـت از دهــن بـــردارم | از دســـت غـــمـــت هـــزار بـــیــداد کـــنـــم |
| *** | |
| رخــســار تـــو ای تـــازه گــل گــلــشــن جــان | کـز آبـلـه شـبـنـمـی نـشـسـتـه سـت بـر آن |
| لـــالـــه ســـت ولــی آمــده بـــا ژالــه قـــریــن | مـاهـی ســت ولـی کـرده بــه سـیـاره قـران |
| *** | |
| تــا بــود چــنـیـن بــود و چـنـیـن اسـت جــهـان | از حـــــادثـــــه دهـــــر کـــــرا بـــــود امـــــان |
| بــلــقــیـس اگــر بــه مــلــک جــاویــدان رفــت | جــاویــد تــو مــانــی ای ســلــیـمــان زمــان |
| *** | |
| خـورشـید کـه هـسـت شـمـسـه هـفـت ایوان | خـواهی کـه بـگویمت که چـون گشـت عـیان |
| زد رفــعــت شــاه خــیــمــه بـــیــرون از چـــرخ | مـانـدش ز سـتــون خـیـمـه بــر چـرخ نـشـان |
| *** | |
| در نـفـی رخــت شـمـع شـبــی رانـد ســخــن | روزش دیـدم گــرفــتــه کــنـجــی مــســکــن |
| مـــانـــنـــده عــــاصــــیـــی کــــه در روز جــــزا | بــــا روی ســـیـــاه ســــر بــــرآرد ز کـــفـــن |
| *** | |
| ای مـــدت شــــاهـــی جــــهـــان مـــدت تــــو | در عـــیـــد ســـرور خــــلـــق از دولـــت تــــو |
| گـــر عـــیــد تـــوانــد کـــه مــجـــســـم گـــردد | آیـــد ز پـــی تـــهـــنـــیـــت خـــلـــعـــت تـــو |
| *** | |
| ای رفــعــت و شـــان فــروتـــریــن پـــایــه تـــو | خـــوبـــی یـــکـــی از هـــزار پـــیـــرایــه تـــو |
| از بـــهــر خـــدا ســـایــه زمــن بـــاز مـــگـــیــر | ای ســـایـــه رحـــمـــت خـــدا ســـایــه تـــو |
| *** | |
| خــوش آن کـه شـود بــسـاط مـهـجــوری طـی | در بـــزم وصــال مــی کــشــم پـــی در پــی |
| مـی جــویـمـت آنـچــنـان کـه مـهـجــور وصــال | مـشـتـاق تـوام چـنـان کـه مـخـمـور بـه مـی |
| *** | |
| گـــر درخـــور مـــهـــرم احـــتـــرامـــی بــــودی | نـــزدیـــک تـــوام قـــدر تـــمـــامـــی بــــودی |
| من می گفتـم که عشـق من تـا بـه کجـاسـت | گــر ز آنـطــرف از عــشــق مــقــامـی بــودی |
| *** | |
| ای کــــاش بـــــرات مــــن بــــراتــــی بــــودی | کــر مــفــلــســیــم خــط نــجــاتـــی بـــودی |
| بـــالــلــه کــه آنــچـــنــان بـــرایــت مــی بـــود | گـــر از طـــرف تــــو الـــتــــفـــاتـــی بــــودی |
| *** | |
| در عـــهـــد مـــعـــالـــجـــات تـــو بـــیـــمـــاری | بـــیـــکـــار شـــد از شـــیــوه خـــلـــق آزاری |
| نــی از پـــی آزار بـــه ســوی تـــو شــتـــافــت | آمــد کــه شـــکـــایــت کــنــد از بـــیــکـــاری |
| *** | |
| گــر بــا تــو گــهــی نــظــر کــنــم پــنــهــانــی | لــازم نــبـــود کــه طــبـــع خــود رنــجـــانــی |
| مـن بـودم و دیـدنـی چـو ایـن هـم مـنـع اسـت | آن نـــــیـــــز بـــــه یـــــاران دگـــــر ارزانـــــی |
| *** | |
| ای درگــــه تـــــو عــــیــــد گــــه روحـــــانــــی | در تــهـنـیـتــت هـم انــســی و هـم جــانـی |
| از لــطــف تـــو عــیــدیــی طــمــع دارم لــیــک | تــرسـم کـه تــوام طـفـل طـبــیـعـت خـوانـی |
روحش شادو یادش گرامی باد
- نویسنده : یزد فردا
- منبع خبر : خبرگزاری فردا
سهشنبه 28,اکتبر,2025